खरसावां गोलीकांड के दोषियों को चिन्हित कर उन्हें सज़ा देना होगा :-महासभा
जालियाबाला से भी बड़ा था खरसावां गोलीकांड : महासभा
कार्यक्रम में सबसे पहले खरसावां के शहीदों के याद में दो मिनट का मौन रखा गया. नारा लगाया गया कि "खरसावां के तमाम शहीदों को हूल जोहार" "खरसावां गोलीकांड के दोषियों को चिन्हित करो उन्हें सजा देना होगा"
आज दिनांक 1 जनवरी 2021 को 1 जनवरी 1948 को आजाद भारत का पहला और अबतक के इतिहास का सबसे बड़ा खरसांवा गोलीकांड के खिलाफ शहीद स्मारक समिति, झारखंड जनतांत्रिक महासभा और झारखण्ड क्रांतिकारी मजदूर यूनियन ने बिरसा मुंडा चौक, साकची, जमशेदपुर में किया प्रतिवाद सभा संकल्प दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया.
वक्ताओं जे बताया कि 1 जनवरी 1948 को खरसावां(झारखण्ड) हाट में 50 हजार से अधिक आदिवासियों की भीड़ पर ओड़िशा मिलिटरी पुलिस ने अंधाधुंध फायरिंग की थी, जिसमें कई हजार आदिवासी मारे गये थे. आदिवासी खरसावां को ओड़िशा में विलय किये जाने का विरोध कर रहे थे. झारखंडी समुदाय के लोग खरसावां को बिहार में शामिल करने की मांग कर रहे थे.
लेकिन इस गोलीकांड को न तो इतिहास में जगह मिला, न ही शहीद हुए व्यक्तियों को पहचान हुआ, न ही सम्मान मिला. और जो सबसे महत्वपूर्ण बात कि इस गोलीकांड के दोषियों न तो चिन्हित किया गया और न ही सम्मान मिला.
सुनील हेम्ब्रम, प्रवीण कुमार, सावन बरला, प्रह्लाद लोहार, सुधाकर लोहार, राजा कालिंदी, सन्नी सामद, श्री. फुदन मुर्मू, सागर बेसरा, सतुआ हेंब्रम, गौतम बोस, देवानंद महतो, अंजलि बोस, अभिजीत सोरेन,शंकर नायक, धरम राज हेंब्रम, धरम राज हेंब्रम, धीरेन महतो, सुपाई सोरेन,बीरेंद्र गोप,अर्जुन हेंब्रम, अनिमा बोस,श्यामली रॉय,मो.परवेज कमरू जमा, समित कार, देबासिष मुखरजी,सुजॉय रॉय, मंथन,तापस चैटर्जी, राम कविन्दर, अशोक, बापी कर, अमित कर, दीपक रंजीत, शुभदर्शी आदि लोग उपस्तित थे.
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