भाजपा नेताओं के द्वारा वीर बिरसा मुंडा की स्मृति और पत्थलगड़ी के ऊपर टिप्पणी के बाद आदिवासी और झारखंडी समाज गुस्से में
जमशेदपुर शहीद सम्मारक समिति ने जमशेदपुर के विभिन्न सामाजिक राजनीतिक संगठनों के साथ आज दिनांक 17/11/2020 को बैठक बारीडीह में सम्पन्न हुआ.
जमशेदपुर, शहीद सम्मारक समिति ने जमशेदपुर के विभिन्न सामाजिक राजनीतिक संगठनों के साथ आज दिनांक 17/11/2020 को बैठक बारीडीह में सम्पन्न हुआ.
बैठक में मुख्यरूप से बिरसा मुंडा के नाम से साकची गोलचक्कर का नामकरण और बिरसा मुंडा के स्मृति में पत्थलगड़ी विषय पर समीक्षा किया गया.बैठक में सभी ने कहां कि 15 नवंबर के कार्यक्रम के बाद भाजपा के नेताओं ने जो वीर बिरसा मुंडा के स्मृति में पत्थलगड़ी के ऊपर जिस तरह से टिप्पणी किया है इसका पूरा आदिवासी/झारखंडी समाज निन्दा करती है. साथ ही कहाँ कि यह गैर जरूरी और अवांछनीय वयान है.
आदिवासी/झारखंडी समाज के इस रूढ़िप्रथा (पत्थलगड़ी) को पांचवीं अनुसूची एंव पेसा कानून में भी मान्यता है और हमारे और यह परंपरा हजारों बर्षों से चले आ रहे हैं.
जैसे की ज्यादातर आदिवासी/झारखंडी समुदायों में बूढ़ा बाबा/मरांग बुरु (आदि देवता/बड़ा पहाड़) को मानते है. वहां भी पत्थर का ही पूजा होता है. मरने के बाद, अपने जमीन के सीमांकन, गांव का सीमांकन से लेकर आदिवासी/झारखंडी समाज में कई और तरह के पत्थलगड़ी का परंपरा है. को आज भी निरंतर जारी है. उसी के तहत 15 नवंबर को साकची गोलचक्कर में कार्यक्रम किया गया. इसके बाद आज भाजपा के कुछ नेताओं का वयान आना आरंभ हो गया. समिति ने कहां कि जिन्होंने भी यह वयान दिया है यह उनके जानकारी और समझदारी के हिसाब से वयान दिया है.
जिन भाजपा नेताओं ने पत्थलगड़ी को गैरकानूनी करार दिया है. उन सभी भाजपा नेताओं से आग्रह किया कि जब आपलोग झारखंड में रहते है, राजनीति करते है तो यहां के भाषा-संस्कृति-परंपरा-रूड़ी प्रथा और यहां के लोगों के लिए विशेष कानून को समझिए ताकि आपलोग फिर से यैसा वयान देने से पहले पांच बार सोचे.
समिति ने कहां कि यदि संविधान का किताब खरीदकर पढ़ने में कोई दिक्कत है तो हमलोग सभी भाजपा नेताओं को संविधान दिवस के दिन एक-एक संविधान का किताब भी खरीदकर दे सकते है. आगे कहाँ कि जमशेदपुर शहर पहले का कालीमाटी का सम्पूर्ण जमीन झारखंडियों का ही था. टाटा कंपनी लीज में है. टाटा कंपनी यहां यहाँ का जमींदा नहीं है.
तो इसलिए हमलोग अगर हमारे किसी वीर पुरुषों का मूर्ति का स्थापना करते है या पत्थलगड़ी किसी चौक चौराहे में करते है तो हमारे ही पूर्वजों के जमीन पर ही करते है.
और अंत मे आखरी बात यह कि पत्थलगड़ी गैरकानूनी नहीं है. इसे संवैधानिक अधिकर है और पत्थलगड़ी हमारा परंपरा है.
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